रविवार, 5 अप्रैल 2020

हरिद्रा गणपति मंत्र

ॐ गां गीं  गूं गैं गौं गः गणपतये सर्वजनमुखस्तम्भनाय आगच्छ आगच्छ मम विघ्नान नाशय नाशय दुष्टं खादय  खादय दुष्टस्य मुखं स्तम्भय स्तम्भय अकालमृत्युं हन  हन भो गणाधिपतये ॐ ह्लीं वश्यं कुरु कुरु ॐ ह्लीं बगलामुखी हूं फ़ट स्वाहा | 

इस गणपति मंत्र से वशीकरण , विघ्नो का नाश और शत्रु नाश होता है केवल दीक्षित साधक ही प्रयोग करने के अधिकारी है 

यहाँ पर लिखने का तात्पर्य केवल विद्या का संरक्षण और संवर्धन ही है दीक्षित जन ही प्रयोग करे | 

शनिवार, 28 मार्च 2020

माँ बगलामुखी का माला मंत्र

संकट की इस घड़ी में जब चारो ओर कोरोना नामक महामारी का प्रकोप फैला हुआ है तो केवल माँ की ही शरण ग्रहण करे | वो ही इन संकटो से रक्षा करने वाली है | माँ के भक्तो के लिए प्रस्तुत है  माँ बगलामुखी जी का माला मंत्र |   
इस मंत्र का 108 बार पाठ करने से सभी प्रकार के संकटो से रक्षा होती है और माँ की कृपा प्राप्त होती है जिसका साधक को स्वयं अनुभव होगा |
साधक का दीक्षित होना आवश्यक है अन्यथा किसी भी प्रकार की हानि के लिए मै उत्तरदायी नहीं हूँ |      

--:माँ बगलामुखी का माला मंत्र :--

ॐ नमो भगवति ॐ नमो वीरप्रतापविजयभगवति बगलामुखि मम सर्वनिन्दकानां सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय-स्तम्भय ब्राह्मी मुद्रय मुद्रय,  बुद्धिं विनाशय विनाशय, अपरबुद्धिं कुरु कुरु आत्माविरोधिनां शत्रुणां शिरो- ललाटं- मुखं- नेत्र- कर्ण- नासिकोरु- पद- अणुरेणु- दन्तोष्ठ -जिह्वा- तालु- गुह्य- गुद- कटि- जानू- सर्वांगेषु केशादिपादपर्यन्तं पादादिकेशपर्यन्तं स्तम्भय स्तम्भय, खें खीं मारय मारय, परमन्त्र- परयन्त्र- परतन्त्राणि छेदय छेदय, आत्ममन्त्रतन्त्राणि रक्ष रक्ष, ग्रहं निवारय निवारय, व्याधिं विनाशय विनाशय, दुःखं हर हर, दारिद्रयं निवारय- निवारय,सर्वमन्त्रस्वरूपिणी, सर्वतन्त्रस्वरूपिणी, सर्वशिल्पप्रयोगस्वरूपिणी, सर्वतत्वस्वरूपिणी, दुष्टग्रह भूतग्रह आकाशग्रह पाषाणग्रह सर्व चाण्डालग्रह यक्षकिन्नरकिम्पुरुषग्रह भूतप्रेतपिशाचानां शाकिनी डाकिनीग्रहाणां पूर्वदिशां बन्धय बन्धय, वार्तालि मां रक्ष रक्ष, दक्षिणदिशां बन्धय बन्धय, किरातवार्तालि मां रक्ष रक्ष, पश्चिमदिशां बन्धय बन्धय , स्वप्नवार्तालि मां रक्ष रक्ष,  उत्तरदिशां बन्धय बन्धय, काली  मां रक्ष रक्ष, ऊर्ध्वदिशं  बन्धय-बन्धय, उग्रकालि मां रक्ष रक्ष, पातालदिशं  बन्धय बन्धय , बगलापरमेश्वरि मां रक्ष रक्ष, सकलरोगान् विनाशय विनाशय, शत्रू पलायनाय  पञ्चयोजनमध्ये राजजनस्त्रीवशतां   कुरु कुरु , शत्रून् दह दह, पच पच, स्तम्भय स्तम्भय, मोहय मोहय, आकर्षय आकर्षय, मम शत्रून् उच्चाटय उच्चाटय, हुम्  फट् स्वाहा |श्रीं श्रीं ||





बुधवार, 25 मार्च 2020

कोरोना वायरस नामक महामारी से मुक्ति कब तक 

विक्रम संवत  प्रमादी नाम 2077  संवत्सर के प्रारम्भ के साथ ही आज चैत्र नवरात्र का शुभारंभ आज हुआ है चैत्र नवरात्र में वैष्णव जन  रामायण का परायण करे और शैव व् शाक्त दुर्गा परायण करे | मेरे जैसे दक्षिण और वाम दोनों मार्गो में दीक्षित जन अपने गुरु निर्देशित अनुष्ठानो को पूर्ण करे | और अपने इष्ट की कृपा प्राप्त करे | संवत्सर प्रारम्भ को भी संध्या काल कहा जाता है इसलिए नवरात्र की विशेष महिमा शास्त्रों में कही गई है | नवरात्र शुभारम्भ से ही हम माई से प्रार्थना करे कि भारत में कोरोना वायरस से उत्पन्न महामारी के पर रोक लगा दे | ये संभवतः 15 जून तक पुरे भारत से खत्म हो जायेगा ऐसा गुरु का आदेश है |