शनिवार, 18 जनवरी 2014

माँ काली का मनत्रर

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माँ काली को सिघ्र प्रशऩ करने का मनत्रर डंड भूज डंड प्रचंड नौ खंड प्रगट देवी तूंही छुंडन के छुड खगर दीखा खपर लीए खड़ी कालीका तागड़ दे मसतंग चोला जरीका फागड़ दीफू गलेफुल माल जय जय जयनत आदि सकती कालका खपर धनी मचकुट छनदनी देव जय जय महीरा जय मरदनी चड मुड विडाल विडलनी निशुमभ को दलनी जय शिव राजेशवरी अमरित यगय धाती द्रविड़ द्रविड़नी ऊँऊँऊँ सवाहा..........इस मनत्र को ३३३ बार नितय घी का दीपक जलाकर भाव से २१ दिन जपे सभी काम सफल होगे और माँ की कॄपपा सिघ्र होगी माँ आपको अपने पुत्र सम जानेगी जय महा काली

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