सोमवार, 25 अप्रैल 2016

विवाह के लिए त्रैलोक्य मोहन गणेश मंत्र का जप करें

 विवाह के लिए त्रैलोक्य मोहन गणेश मंत्र का जप करें |

साधना प्रारंभ करने का ठीक समय शुक्ल पक्ष की कोई भी चतुर्थी है। संकल्प लेकर चार लाख जप कर दशांस हवन, तर्पण, मार्जन ब्राह्मण भोजन करवाएं। 
मं‍त्र - 
वक्रतुण्डैकदंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते
वर वरद सर्वजनं में वशमानय् स्वाहा।।


विनियोग- 
ॐ अस्य श्री त्रैलोक्य मोहन गणेश मंत्रस्य, श्री गणक ऋषि:, गायत्री छन्द:, श्री त्रैलोक्य मोहन करो गणेश देवता ममाभीष्ट सिद्धयर्थे (कार्य बोलें) जपे विनियोग:।


जल छोड़ दें तथा न्यास करें निर्दिष्ट अंगों को अंगुलियों से छुएं।

करन्यास : 

ॐ वक्रतुण्डैकदंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं- अंगुष्ठाभ्यां नम:
ॐ गं गणपते तर्जनीभ्यां नम:
ॐ वरवरद मध्यमाभ्यां नम:
ॐ सर्वजनम् अनामिकाभ्यां नम:
ॐ मे वशमानय कनिष्ठिकाभ्यां नम:
ॐ स्वाहा करतलकरपृष्ठाभ्यां नम:


अंगन्यास :

ॐ वक्रतुण्डैकदंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं हृदयाय नम:
ॐ गं गणपते शिरसे स्वाहा
ॐ वर वरद शिखायै वौषट्
ॐ सर्वजनम् कवचाय हुम्
ॐ मे वशमानय नैत्रत्रयाय वौषट्


-ध्यान-
रक्तवर्ण, त्रिनेत्र, हाथों में गदा, बीजापुर, धनुष, शूल, चक्र, कमल, उत्पल, पाश, धान तथा दंत धारण किए हुए दश भुजा वाले अंक में आभूषणों से युक्त देवी को लिए हुए, संसार को मोहित करने वाले गणेशजी का ध्यान करता हूं।

चार लाख जप, दशांस हवन, तर्पण, मार्जन ब्राह्मण भोजन करवाएं। कमल पुष्पों से हवन से राजा को, कुमुद पुष्पों से हवन से मंत्री को, पीपल से ब्राह्मण को, उदुम्बुर से क्षत्रिय को, मुनक्का से स्वर्णधन, गौदुग्ध से गौधन, दही से ऋद्धि तथा घृत अन्न-धन की वृद्धि होती है। 


इन्हें पूजने से विघ्नों का नाश होकर अभीष्ट फल प्राप्ति होती है तथा मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है।


0 comments:

एक टिप्पणी भेजें