मंगलवार, 3 मई 2016

गुरु कौन है

आजकल अज्ञानता की लहर सी फैली हुई है जिसको देखो ज्ञान बघारने लगता है चाहे उसे कोई अनुभव हुआ हो अथवा न हुआ हो । बहुत से लोग किताबें पढ़कर ज्ञान बाँट रहे है आजकल सभी बंधू एक बहुत ही बड़े अज्ञानता में रह रहे है की गुरु केवल मार्ग दर्शक का काम करता है अर्थात वो केवल रास्ता दिखलाता है । या तो उन लोगो की गुरु से भेट नहीं हुई है अथवा वो गुरु का अर्थ नहीं जानते । गुरु शब्द से गुरुत्व का आभास होता है. अर्थात जहां गुरुत्व है वही तो गुरु है गुरुत्व का मतलब आकर्षण है गुरु अपनी ओर आकर्षित करता है क्योंकि उसमे गुरुत्व होता है । गुरु सर्व समर्थ होता है वह कर्तुं अकर्तुम और अन्यथा कर्त्तुम में समर्थ होता है वह अपनी कृपा मात्र से शिष्य के हृदय की मलिनता दूर कर देता है । जिसमे यह समर्थ्य हो वाही गुरु है अन्य कोई भी गुरु पद का अधिकारी नहीं है । गुरु सभी कुछ कर सकता है । 
ऐसे गुरु के लिए ही कहा गया है :- 


गुरु ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुदेव महेश्वर:।' गुरु साक्षात्परब्रह्म तस्मैश्री गुरुवे नम:।।

अतः पूर्ण ज्ञानी चेतन्य रूप पुरुष के लिए गुरु शब्द प्रयुक्त होता है, 

उसकी ही स्तुति की जाती है। नानक देव, त्रेलंग स्वामी, तोतापुरी, 

रामकृष्ण परमहंस, महर्षि रमण, स्वामी समर्थ, साईं बाबा, महावातर 

बाबा, लाहडी महाशय, हैडाखान बाबा, सोमबार गिरी महाराज, स्वामी 

शिवानन्द, आनंदमई माँ, स्वामी बिमलानंदजी, मेहर बाबा आदि सच्चे 

गुरु रहे हैं।

अतः यह अज्ञान की केवल रास्ता बताने वाला गुरु होता है केवल रास्ता 

बताने पर भी यदि शिष्य न चल पाए तो, नहीं   गुरु शिष्य को उस रास्ते 

पर चलने की सामर्थ्य भी देता है । गुरु सर्व समर्थ्यवान  है । अतः ईश्वर   
से प्रार्थना  करे की वो आपको ऐसा गुरु  प्रदान करे । 

मेरे गुरु ऐसे ही सामर्थ्यवान दादा जी महाराज गोसलपुर वाले (श्री श्री 

१००८  परमहंस शिवदत्त जी महाराज ) हैं  जो अब समाधिस्थ है पर 

शिष्यों के लिए प्रकट है |

नोट :- गोसलपुर मध्यप्रदेश जबलपुर के पास है जो कटनी और 

जबलपुर के बीच में पड़ता है वहां गुरु जी की समाधी है 



सोमवार, 25 अप्रैल 2016

विवाह के लिए त्रैलोक्य मोहन गणेश मंत्र का जप करें

 विवाह के लिए त्रैलोक्य मोहन गणेश मंत्र का जप करें |

साधना प्रारंभ करने का ठीक समय शुक्ल पक्ष की कोई भी चतुर्थी है। संकल्प लेकर चार लाख जप कर दशांस हवन, तर्पण, मार्जन ब्राह्मण भोजन करवाएं। 
मं‍त्र - 
वक्रतुण्डैकदंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते
वर वरद सर्वजनं में वशमानय् स्वाहा।।


विनियोग- 
ॐ अस्य श्री त्रैलोक्य मोहन गणेश मंत्रस्य, श्री गणक ऋषि:, गायत्री छन्द:, श्री त्रैलोक्य मोहन करो गणेश देवता ममाभीष्ट सिद्धयर्थे (कार्य बोलें) जपे विनियोग:।


जल छोड़ दें तथा न्यास करें निर्दिष्ट अंगों को अंगुलियों से छुएं।

करन्यास : 

ॐ वक्रतुण्डैकदंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं- अंगुष्ठाभ्यां नम:
ॐ गं गणपते तर्जनीभ्यां नम:
ॐ वरवरद मध्यमाभ्यां नम:
ॐ सर्वजनम् अनामिकाभ्यां नम:
ॐ मे वशमानय कनिष्ठिकाभ्यां नम:
ॐ स्वाहा करतलकरपृष्ठाभ्यां नम:


अंगन्यास :

ॐ वक्रतुण्डैकदंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं हृदयाय नम:
ॐ गं गणपते शिरसे स्वाहा
ॐ वर वरद शिखायै वौषट्
ॐ सर्वजनम् कवचाय हुम्
ॐ मे वशमानय नैत्रत्रयाय वौषट्


-ध्यान-
रक्तवर्ण, त्रिनेत्र, हाथों में गदा, बीजापुर, धनुष, शूल, चक्र, कमल, उत्पल, पाश, धान तथा दंत धारण किए हुए दश भुजा वाले अंक में आभूषणों से युक्त देवी को लिए हुए, संसार को मोहित करने वाले गणेशजी का ध्यान करता हूं।

चार लाख जप, दशांस हवन, तर्पण, मार्जन ब्राह्मण भोजन करवाएं। कमल पुष्पों से हवन से राजा को, कुमुद पुष्पों से हवन से मंत्री को, पीपल से ब्राह्मण को, उदुम्बुर से क्षत्रिय को, मुनक्का से स्वर्णधन, गौदुग्ध से गौधन, दही से ऋद्धि तथा घृत अन्न-धन की वृद्धि होती है। 


इन्हें पूजने से विघ्नों का नाश होकर अभीष्ट फल प्राप्ति होती है तथा मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है।


हर कामना पूर्ण करें श्री गणेश के सिद्ध मंत्र

हर कामना पूर्ण करें श्री गणेश के सिद्ध मंत्र


रोजगार की प्राप्ति व आर्थिक वृद्धि के लिए लक्ष्मी विनायक मंत्र का जप 


करें-
ॐ श्रीं सौम्याय सौभाग्याय गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानाय 


स्वाहा।

शाबर महाकाली साधना

मंत्र सिद्ध है....

शाबर महाकाली साधना.

मंत्र सिद्ध है फिर भी मन मे येसा कुछ ना आये के मुज़े अनुभव कैसे 


मिलेगा ईसलिये किसी भी मंगलवार के दिन शाम को 6:30 से 7:30 के 

समय मे मंत्र का 108 बार जाप कर लिजिये और 21 आहुती घी का दे 

साथ मे एक नींबू मंत्र का जाप करके चाकू से काटे तो बलि विधान भी 

पूर्ण हो जायेगा,नींबू को हवन कुंड मे डालना ना भूले.


अब जब भी आपको अपनी मनोकामना पूर्ण करने हेतु विधान करना हो 

तब जमीन पर थोडासा कुछ बुंद जल डाले और हाथ से जमीन को पौछ 

लिजिये.

साफ़ जमीन पर कपूर कि टिकिया रखे और मन ही मन अपनी कामना 


बोलिये.अब तीन बार

"ओम नम: शिवाय"

बोलकर कपूर जलाये और माहाकाली मंत्र का जाप करे,यहा पर मंत्र जाप 


संख्या का गिनती नही करना है और जाप करते समय ध्यान कपूर के 

ज्योत मे होना चाहिये इसलिये मंत्र भी पहिले ही याद करना जरुरी है.

कम से कम 3-4 टिकिया कपूर का इस्तेमाल करे और कपूर इस क्रिया मे 


बुज़ना नही चाहिये जब तक आपका जाप पूर्ण ना हो और इतने समय 

तक जाप करे अन्दाज से के आपका 21 बार मंत्र जाप होना चाहिये.अब 

आपही सोचिये आपको रोज कितना कपूर जलाना है.


साधना तब तक करना है जब तक आपका इच्छा पूर्ण ना हो और इच्छा 

पूर्ण होने के बाद कुछ गरिब बच्चो मे कुछ मिठा बाटे क्युके इच्छा पूर्ण 

होने के खुशी मे..


मंत्र-

ll ओम नमो आदेश माता-पिता-गुरू को l आदेश कालिका माता को,धरती 


माता-आकाश पिता को l ज्योत पर ज्योत चढाऊ ज्योत कालिका माता 

को,मन की इच्छा पुरन कर,सिद्धी कारका l दुहाई माहादेव कि ll


मंत्र सिद्ध है शाबर महाकाली साधना. मंत्र सिद्ध है फिर भी मन मे येसा 

कुछ ना आये के मुज़े अनुभव कैसे मिलेगा ईसलिये किसी भी मंगलवार 

के दिन शाम को 6:30 से 7:30 के समय मे मंत्र का 108 बार जाप कर 

लिजिये और 21 आहुती घी का दे

सोमवार, 18 अप्रैल 2016

शत्रु नाशक बगला प्रयोग



जिस साधक पर भगवती बगलामुखी की कृपा हो जाती है, उसके शत्रु 

कभी अपने षड़यंत्र मे सफल नही हो पाते है.क्युकी भगवती का मुद्गर 

उन शत्रुओ की समस्त क्रियाओ को निस्तेज कर देता है.प्रस्तुत साधना 

उन साधको के लिये है,जो शत्रू के कारण समस्याओ से घिर जाते है.वैसे 

दरिद्रता,रोग,दुख ये भी माँ कि दृष्टि मे आपके शत्रू ही है.अतः सभी को 

यह साधना करनी करनी चाहिये.यह साधना आपको २६ तारीख को 

करना ै.किसी कारणवश ना कर पाये तो किसी भी रविवार को 

करे.समय रात्रि १० के बाद का रखे.आसन वस्त्र पिले हो.आपका मुख 

उत्तर की और होना चाहिये.सामने बाजोट रखकर उस पर पिला वस्त्र 

बिछा दे.और वस्त्र पर पिले सरसो कि एक ढ़ेरी बनाये.इस ढ़ेरी पर एक 

मिट्टि का दिपक सरसो का तेल डालकर प्रज्जवलित करे.ईसके अतिरिक्त 

किसी सामग्री की आवश्यक्ता नही है.दिपक की सामान्य पुजन कर गुड़ 

का भोग अर्पित करे.अब संकल्प ले .


हे माता बगलामुखी हर शत्रू से,रोगो से,दुखो से,दरिद्रता से तथा हर कष्ट 

प्रद स्थिती से रक्षा हेतु मै यह प्रयोग कर रहा हु.आप मेरी साधना को 

स्विकार कर.मुझे सफलता प्रदान करे.

अब निम्न मंत्र कि पिली हकीक माला,हल्दि माला,अथवा रूद्राक्ष माला 


से २१ माला करे.

क्रीं ह्लीं क्रीं सर्व शत्रू मर्दिनी क्रीं ह्लीं क्रीं फट्

Kreem hleem kreem sarv shatru mardini kreem hleem kreem 


phat

यह मंत्र महाकाली समन्वित बगला मंत्र है.जो कि अत्यंत तिव्र है.ईसका 


जाप वाचिक कर पाये तो उत्तम होगा अन्यथा उपांशु करे.पंरतु मानसिक 

ना करे.जाप समाप्त होने के बाद.घृत मे सरसो मिलाकर १०८ आहुति 

प्रदान करे.इस प्रकार साधना पुर्ण होगी.साधना के बाद पुनः स्नान करना 

आवश्यक है.

अगले दिन गुड़,सरसो पिला वस्त्र किसी वृक्ष के निचे रख आये.यह एक 


दिवसीय प्रयोग साधक को शत्रू से मुक्त कर देता है.साधक चाहे तो 

साधना को ३,७, या २१ दिवस के अनुष्ठान रूप मे भी कर सकता है.


गुरुवार, 14 अप्रैल 2016

दारिद्र नाशक प्रयोग

दारिद्र नाशक प्रयोग





अमावस्या या पूर्णमासी पर राई, उडद, कोयला, लालमिर्च (खडी), सिताब 

का पंचांग, लोहे का टुकडा,पीली सरसो, 2 कौडी, गोमती चक्र फूल व एक 

लोटा जल लेकर आवास की चार परिक्रमा कर जल व सभी सामग्री पीपल 

की जड मे छोड आवेँ । धनागमन के मार्ग खुल जावेँगेँ |


ये प्रयोग एक अघोरी द्वारा बताया परिक्षित प्रयोग है।

चमेली तेल मोहन प्रयोग


1. ॐ नमो मोहनी रानी। सिंहासन बैठी मोह रही दरबार। मेरी भक्ती,गुरु 

की शक्ती। दुहाई गौरा पार्वती की। बजरंग बली की आन। नहीँ तो लोना 

चमारी की आन लगे। 

2. ॐ नमो मन मोहनी। मोहनी चला। गैर के मस्तक धरा। तेल का 


दीपक जला। जल मोहूं , थल मोहूं। मोहूं सारा जगत। 

मोहनी रानी जा शैया पै ला। न लाये तो गौरा पार्वती की दुहाई। लोना 

चमारिन की दुहाई। नहीँ तो वीर हनुमान की आन।

प्रयोग विधी:-

1. चमेली के तेल पर अंगुली डुबो कर 7 बार मंत्र पढेँ। फिर तिलक की 

तरह माथे पर लगा लेँ, जहाँ जाऐ सभी मोहित होँगेँ!

2. तेल को मंत्र2 से अभिमंत्रित कर साध्या पर छिडक देँ तो वह वशिभूत 


हो जाएगी।

तंत्र प्रयोग करेँ,तो थोडा सोच लेँ की आप का प्रयोग सहीँ ही हो।

श्री दुर्गा सूक्त

श्री दुर्गा सूक्त

(किसी भी प्रकार की सांसारिक समस्या मे सूक्त का108बार जाप उत्तम 


होता है)

ॐ जातवेदसे सुनवाम सोममरातीवतो निदहाति बेद।

स नः पर्षदति दुर्गाणी विश्व नावेद सिन्धुं दुरितात्यग्नि।

तामग्निवर्णाँ तपसा ज्वलन्तिँ वैरोचनीँ कर्मफलेषु जुष्टाम।

दुर्गा देवी शरणामहं प्रपद्ये सुतरसि रसते नमः।

अग्नेत्वं पारपा नव्यौ अस्मान्ष्तस्तिभिरितिदुर्याणि विश्वा।

पूश्चप्रथ्वी बहुला न इर्वो भवा ताकाय तनताय शंयो।

विश्वानि नो दुर्गहा जातवेदं सिन्धुं न नावादुरितातिपर्षि।

अग्ने अत्रिवन्मनसा शुभानोऽस्माकं बोध्यवितां तनूनाम्।

प्रतनाजितं सहमानमुग्रमग्निं हवेम् परमात्सधस्मात्।

दुःस्वप्न नाशक प्रयोग

ॐ णमो अरहंताणं दीवोत्ताणं,


सरणगइपइट्ठाणं, अप्पडिदयवर, नाणदंसण, धराणं, विअट्टछउम्माणं ऐँ 

स्वाहा।



प्रतिदिन एक माला का जप करेँ तो बुरे स्वप्न कभी नहीँ आतेँ। सम्मान 

बढ़ेगा।कहीँ जाना हो तो मंत्र का 3 बार उच्चारण करके जाएं।तो मार्ग के 

सभी भय समाप्त हो जातेँ है कार्य सफल हो जाता है।


अनुभूत प्रर्योग़ है।

दुश्मनी कराने का इस्लामी अमल



व ज़न्ना अन्नहुल फ़िराकु वल तफ़फ़तिस्साकु बिस्साक़ी इला रब्बिका 

यव मइज़िन निल मसाकु अल्लाहुम्मा फ़र्रिक़ बयनाहुमा कमा फ़र्रक़ता 

बयनस्समाई वल अर्ज़ि व कमा फ़र्रक़ता बयना आदमा व इबलीसा व 

कमा फ़र्रक़ता बयना ईब्राहिमा व नमरुदा व फ़र्रक़ता बयना मूसा व 

फ़िरऔना व कमा फ़र्रक़ता बयना मुहम्मदिन सल्ललाहु अलयहि 

वसल्लमा व अबू जहलिन

शनिवार के दिन दोपहर के समय धूप मेँ बैठकर 11-11 बार 11 दिनोँ 


क उपरोक्त आयत पढेँ।जिन दो जनो के बीच द्वेष कराना हो उनका 

ध्यान करेँ। तो दोनो मे झगडा हो जावेगा।

आयत के शब्दो का उच्चारण सहीँ सही होना चाहिए। परिक्षित प्रयोग है। 

संकट से रक्षा का हनुमान शाबर मन्त्र

मन्त्रः-  “हनुमान हठीला लौंग की काट, बजरंग का टीला ! लावो सुपारी । 

सवा सौ मनका भोगरा, उठाए बड़ा पहलवान । आस कीलूँ – पास कीलूँ, 

कीलूँ अपनी काया ।जागता मसान कीलूँ, बैठूँ जिसकी छाया । जो मुझ 

पर चोट-चपट करें, तू उस पर बरंग सिला चला । ना चलावे, तो 

अञ्जनी मा की चीर फाड़ लंगोट करें, दूध पिया हराम करें । माता सीता 

की दूहाई, भगवान् राम की दुहाई । मेरे गुरु की दुहाई ।”



विधिः-हनुमान् जी के प्रति समर्पण व श्रद्धा का भाव रखते हुए शुभ 

मंगलवार से उक्त मन्त्र का नित्य एक माला जप ९० दिन तक करे । 

पञ्चोपचारों से हनुमान् जी की पूजा करे । इससे मन्त्र में वर्णित कार्यों 

की सिद्धि होगी एवं शत्रुओं का नाश होगा 

सोमवार, 11 अप्रैल 2016

दारिद्र्य नाशक धूमावती साधना

दारिद्र्य नाशक धूमावती साधना
जीवन में कई बार ऐसे पल आ जाते है की हम निराश हो जाते है,अपनी गरीबी से अपनी तकलीफों से,और इस बात को नहीं नाकारा जा सकता की हर इन्सान को धन की आवश्यकता होती है जीवन के ९९ % काम धन के आभाव में अधूरे है यहाँ तक की साधना करने के लिए भी धन लगता है,तो क्यों और कब तक बैठे रहोगे इस गरीबी का रोना लेकर क्यों ना इसे उठा कर फेक दिया जाये जीवन से.
मेरे सभी प्यारे भाइयो और बहनों के लिए एक विशेष साधना दे रहा हु जिससे उनके आर्थिक कष्ट माँ की कृपा से समाप्त हो जायेंगे.ये मेरी अनुभूत साधना है आप संपन्न करे और माँ की कृपा के पात्र बने.
साधना सामग्री. एक सूपड़ा,स्फटिक या तुलसी माला. विधि: यह साधना धूमावती जयंती से आरम्भ करे,समय रात्रि १० बजे का होगा,आप सफ़ेद वस्त्र धारण कर सफ़ेद आसन पर पूर्व मुख कर बैठ जाये.सामने बजोट पर सूपड़ा रख कर उसमे सफ़ेद वस्त्र बिछा दे फिर उसमे धूमावती यन्त्र स्थापित करे,इसके बाद गाय के कंडे से बनी भस्म यन्त्र पर अर्पण करे घी का दीपक जलाये,पेठे का भोग अर्पण करे,माँ से प्रार्थना करे की में यह साधना अपनी दरिद्रता से मुक्ति के लिए कर रहा हु आप मेरी साधना को सफलता प्रदान करे तथा मेरे सभी कष्टों को दूर कर दे.इसके बाद निम्न मंत्र की एक माला करे ॐ धूम्र शिवाय नमः इसके बाद धूं धूं धूमावती ठह ठह की २१ माला करे.फिर पुनः एक माला पहले वाले मंत्र की करे.जप के बाद दिल से माँ से प्रार्थना करे और इस साधना को २१ दिन तक करे.साधना पूरी होने के बाद सुपडे को यन्त्र सहित उठाकर माँ से प्रार्थना करे की माँ आप हमारी सभी पापो को क्षमा करे और आज आप हमारे जीवन के सारे दुःख सारी दरिद्रता को आपके इस पवित्र सुपडे में भर के ले जाये है माँ हमारे जीवन में कभी दरिद्रता ना लोटे ऐसी दया करे.इसके बाद.सुपडे और यन्त्र को जल में प्रवाहित कर दे या किसी निर्जन स्थान में रख दे.निश्चित माँ की आप पर कृपा बरसेगी और जीवन की दरिद्रता कोसो दूर चली जाएगी.साधना के पहले गुरुदेव पूजन तथा गणपति पूजन करे ये हर बार बताना आवश्यक नहीं है.

चंडिका प्रयोग

चंडिका प्रयोग
प्रस्तुत साधना तब करे जब जीवन पूरी तरह अस्त व्यस्त हो गया हो.कोई मार्ग नज़र न आ रहा हो.दरिद्रता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हो.क्युकी ये प्रयोग मारण प्रयोग है,अरे नहीं किसी व्यक्ति का नहीं, अपने कष्टो पर भी तो मारण किया जा सकता है न
दरिद्रता,रोग,गृह क्लेश और भी न जाने क्या क्या कष्ट है जीवन में,जो आपको रात दिन तील तील मारते रहते है,इससे पहले कि ये आपको पूरी तरह मारदे आप कर ही दीजिये इन पर चंडिका प्रयोग।
ये प्रयोग तीन दिन का है,किसी भी रविवार या अमावस्या कि रात्रि १२ बजे इसे किया जा सकता सकता है.दक्षिण कि और मुख कर बैठ जाये,आसन वस्त्र लाल हो तथा जाप होगा रुद्राक्ष कि माला से.सामने महाकाली का कोई भी चित्र स्थापित करे लाल वस्त्र पर.माँ का सामान्य पूजन करे,तील के तेल का दीपक हो.भोग में माँ को गूढ़ अर्पण करे.रक्त पुष्पो से पूजन करे.इसके बाद २१ माला आप मंत्र का जाप करे.भोग नित्य स्वयं खा ले.अंतिम दिन जाप के बाद घी में कालीमिर्च तथा काले तील मिलाकर १०८ आहुति प्रदान करे,तथा अंत में एक निम्बू पर मंत्र को २१ बार पड़कर फुक मार दे.और मंत्र पड़ते हुए ही निम्बू अग्नि कुंड में डाल दे.नित्य पूजन के बाद भी स्नान कर लिया करे.
मंत्र:
क्रीं ह्रीं क्रीं महाकाली चण्डिके आपदउद्दारिणी अनंगमालिनि सर्वोपद्रव नाशिनी क्रीं ह्रीं क्रीं फट।
kreem hreem kreem mahakaali chandike aapaduddhaarini anangmalini sarvopdrav nashini kreem hreem kreem phat
मित्रो इस प्रकार ये प्रयोग पूर्ण होता है,जो आपके जीवन से समस्त शोक दुःख आदि को दूर कर देगा।

रविवार, 10 अप्रैल 2016

श्रीऋद्धि-सिद्धि के लिए श्री गणपति -साधना

वैदिक-साधनाः
यह साधना ‘श्रीगणेश चतुर्थी’ से प्रारम्भ कर ‘चतुर्दशी’ तक (१० दिन) की जाती है। ‘साधना’ हेतु “ऋद्धि-सिद्धि” को गोद में बैठाए हुए भगवान् गणेश की मूर्ति या चित्र आवश्यक है।
विधिः पहले ‘भगवान् गणेश’ की मूर्ति या चित्र की पूजा करें। फिर अपने हाथ में एक नारियल लें और उसकी भी पूजा करें। तब अपनी मनो-कामना या समस्या को स्मरण करते हुए नारियल को भगवान् गणेश के सामने रखें। इसके बाद, निम्न-लिखित स्तोत्र का १०० बार ‘पाठ‘ करें। १० दिनों में स्तोत्र का कुल १००० ‘पाठ‘ होना चाहिए। यथा-
स्वानन्देश गणेशान्, विघ्न-राज विनायक ! ऋद्धि-सिद्धि-पते नाथ, संकटान्मां विमोचय।।१
पूर्ण योग-मय स्वामिन्, संयोगातोग-शान्तिद। ज्येष्ठ-राज गणाधीश, संकटान्मां विमोचय।।२
वैनायकी महा-मायायते ढुंढि गजानन ! लम्बोदर भाल-चन्द्र, संकटान्मां विमोचय।।३
मयूरेश एक-दन्त, भूमि-सवानन्द-दायक। पञ्चमेश वरद-श्रेष्ठ, संकटान्मां विमोचय।।४
संकट-हर विघ्नेश, शमी-मन्दार-सेवित ! दूर्वापराध-शमन, संकटान्मां विमोचय।।५
उक्त स्तोत्र का पाठ करने से पूर्व अच्छा होगा, यदि निम्न-लिखित मन्त्र का १०८ बार ‘जप’ किया जाए। यथा- 
“ॐ श्री वर-वरद-मूर्त्तये वीर-विघ्नेशाय नमः ॐ”
साधना-काल में (१० दिन) साधना करने के बाद दिन भर उक्त मन्त्र का मन-ही-मन स्मरण करते रहें। ११ वें दिन, पहले दिन जो नारियल रखा था, उसे पधारे (फोड़कर) ‘प्रसाद’ स्वरुप अपने परिवार में बाँटे। ‘प्रसाद’ किसी दूसरे को न दें।
इस साधना से सभी प्रकार की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। सभी समस्याएँ, बाधाएँ दूर होती है।