रविवार, 15 मई 2016

श्री राम दुर्गम

श्री राम दुर्गम 

सभी प्रकार की किसी भी लौकिक अलौकिक बाधा को दूर करने में श्री राम दुर्गम का अचूक प्रभाव है सभी प्रकार की कामनाओ की भी पूर्ति करता है शत्रुओ से रक्षा होती है नित्य कम  से कम २१ पाठ करे । 

विनियोगः ॐ अस्य श्री राम दुर्गस्य् विश्वामित्र ऋषिः अनुष्टुप छन्दः श्री रामो देवता श्री राम प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः । 

श्री रामो रक्षतु प्राच्यां रक्षेदयाम्यां च लक्ष्मणः । प्रतीच्यां भरतो रक्षेद उदीच्यां शत्रु मर्दनः ॥१ ॥  
ईशान्यां जानकी रक्षेद आग्नेयाम रविनन्दनः । विभीषणस्तु नैऋत्यां वायव्यां वायुनन्दनः ॥२ ॥  
ऊर्ध्वं रक्षेन्महाविष्णुर्मध्यं रक्षेन्नृकेशरी । अधस्तु वामनः पातु सर्वतः पातु केशवः ॥ ३ ॥ 
सर्वतः कपिसेनाद्यैः सदा मर्कटनायकः । चतुर्द्वारं सदा रक्षेदच्चतुर्भिः कपिपुंगवैः ॥ ४॥ 
श्री रामाख्यं महादुर्गं विश्वामित्रकृतं शुभम । यः स्मरेद भय काले तु सर्व शत्रु विनाशनम ॥ ५ ॥ 
रामदुर्गं पठेद भक्त्या सर्वोपद्रवनाशनं । सर्वसम्पदप्रदम् नृणां च गच्छेद वैष्णव पदं ॥ ६ ॥ 

इति  श्री रामदुर्गं सम्पूर्णम ॥ 


 

मंगलवार, 3 मई 2016

गुरु कौन है

आजकल अज्ञानता की लहर सी फैली हुई है जिसको देखो ज्ञान बघारने लगता है चाहे उसे कोई अनुभव हुआ हो अथवा न हुआ हो । बहुत से लोग किताबें पढ़कर ज्ञान बाँट रहे है आजकल सभी बंधू एक बहुत ही बड़े अज्ञानता में रह रहे है की गुरु केवल मार्ग दर्शक का काम करता है अर्थात वो केवल रास्ता दिखलाता है । या तो उन लोगो की गुरु से भेट नहीं हुई है अथवा वो गुरु का अर्थ नहीं जानते । गुरु शब्द से गुरुत्व का आभास होता है. अर्थात जहां गुरुत्व है वही तो गुरु है गुरुत्व का मतलब आकर्षण है गुरु अपनी ओर आकर्षित करता है क्योंकि उसमे गुरुत्व होता है । गुरु सर्व समर्थ होता है वह कर्तुं अकर्तुम और अन्यथा कर्त्तुम में समर्थ होता है वह अपनी कृपा मात्र से शिष्य के हृदय की मलिनता दूर कर देता है । जिसमे यह समर्थ्य हो वाही गुरु है अन्य कोई भी गुरु पद का अधिकारी नहीं है । गुरु सभी कुछ कर सकता है । 
ऐसे गुरु के लिए ही कहा गया है :- 


गुरु ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुदेव महेश्वर:।' गुरु साक्षात्परब्रह्म तस्मैश्री गुरुवे नम:।।

अतः पूर्ण ज्ञानी चेतन्य रूप पुरुष के लिए गुरु शब्द प्रयुक्त होता है, 

उसकी ही स्तुति की जाती है। नानक देव, त्रेलंग स्वामी, तोतापुरी, 

रामकृष्ण परमहंस, महर्षि रमण, स्वामी समर्थ, साईं बाबा, महावातर 

बाबा, लाहडी महाशय, हैडाखान बाबा, सोमबार गिरी महाराज, स्वामी 

शिवानन्द, आनंदमई माँ, स्वामी बिमलानंदजी, मेहर बाबा आदि सच्चे 

गुरु रहे हैं।

अतः यह अज्ञान की केवल रास्ता बताने वाला गुरु होता है केवल रास्ता 

बताने पर भी यदि शिष्य न चल पाए तो, नहीं   गुरु शिष्य को उस रास्ते 

पर चलने की सामर्थ्य भी देता है । गुरु सर्व समर्थ्यवान  है । अतः ईश्वर   
से प्रार्थना  करे की वो आपको ऐसा गुरु  प्रदान करे । 

मेरे गुरु ऐसे ही सामर्थ्यवान दादा जी महाराज गोसलपुर वाले (श्री श्री 

१००८  परमहंस शिवदत्त जी महाराज ) हैं  जो अब समाधिस्थ है पर 

शिष्यों के लिए प्रकट है |

नोट :- गोसलपुर मध्यप्रदेश जबलपुर के पास है जो कटनी और 

जबलपुर के बीच में पड़ता है वहां गुरु जी की समाधी है 



सोमवार, 25 अप्रैल 2016

विवाह के लिए त्रैलोक्य मोहन गणेश मंत्र का जप करें

 विवाह के लिए त्रैलोक्य मोहन गणेश मंत्र का जप करें |

साधना प्रारंभ करने का ठीक समय शुक्ल पक्ष की कोई भी चतुर्थी है। संकल्प लेकर चार लाख जप कर दशांस हवन, तर्पण, मार्जन ब्राह्मण भोजन करवाएं। 
मं‍त्र - 
वक्रतुण्डैकदंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते
वर वरद सर्वजनं में वशमानय् स्वाहा।।


विनियोग- 
ॐ अस्य श्री त्रैलोक्य मोहन गणेश मंत्रस्य, श्री गणक ऋषि:, गायत्री छन्द:, श्री त्रैलोक्य मोहन करो गणेश देवता ममाभीष्ट सिद्धयर्थे (कार्य बोलें) जपे विनियोग:।


जल छोड़ दें तथा न्यास करें निर्दिष्ट अंगों को अंगुलियों से छुएं।

करन्यास : 

ॐ वक्रतुण्डैकदंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं- अंगुष्ठाभ्यां नम:
ॐ गं गणपते तर्जनीभ्यां नम:
ॐ वरवरद मध्यमाभ्यां नम:
ॐ सर्वजनम् अनामिकाभ्यां नम:
ॐ मे वशमानय कनिष्ठिकाभ्यां नम:
ॐ स्वाहा करतलकरपृष्ठाभ्यां नम:


अंगन्यास :

ॐ वक्रतुण्डैकदंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं हृदयाय नम:
ॐ गं गणपते शिरसे स्वाहा
ॐ वर वरद शिखायै वौषट्
ॐ सर्वजनम् कवचाय हुम्
ॐ मे वशमानय नैत्रत्रयाय वौषट्


-ध्यान-
रक्तवर्ण, त्रिनेत्र, हाथों में गदा, बीजापुर, धनुष, शूल, चक्र, कमल, उत्पल, पाश, धान तथा दंत धारण किए हुए दश भुजा वाले अंक में आभूषणों से युक्त देवी को लिए हुए, संसार को मोहित करने वाले गणेशजी का ध्यान करता हूं।

चार लाख जप, दशांस हवन, तर्पण, मार्जन ब्राह्मण भोजन करवाएं। कमल पुष्पों से हवन से राजा को, कुमुद पुष्पों से हवन से मंत्री को, पीपल से ब्राह्मण को, उदुम्बुर से क्षत्रिय को, मुनक्का से स्वर्णधन, गौदुग्ध से गौधन, दही से ऋद्धि तथा घृत अन्न-धन की वृद्धि होती है। 


इन्हें पूजने से विघ्नों का नाश होकर अभीष्ट फल प्राप्ति होती है तथा मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है।


हर कामना पूर्ण करें श्री गणेश के सिद्ध मंत्र

हर कामना पूर्ण करें श्री गणेश के सिद्ध मंत्र


रोजगार की प्राप्ति व आर्थिक वृद्धि के लिए लक्ष्मी विनायक मंत्र का जप 


करें-
ॐ श्रीं सौम्याय सौभाग्याय गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानाय 


स्वाहा।

शाबर महाकाली साधना

मंत्र सिद्ध है....

शाबर महाकाली साधना.

मंत्र सिद्ध है फिर भी मन मे येसा कुछ ना आये के मुज़े अनुभव कैसे 


मिलेगा ईसलिये किसी भी मंगलवार के दिन शाम को 6:30 से 7:30 के 

समय मे मंत्र का 108 बार जाप कर लिजिये और 21 आहुती घी का दे 

साथ मे एक नींबू मंत्र का जाप करके चाकू से काटे तो बलि विधान भी 

पूर्ण हो जायेगा,नींबू को हवन कुंड मे डालना ना भूले.


अब जब भी आपको अपनी मनोकामना पूर्ण करने हेतु विधान करना हो 

तब जमीन पर थोडासा कुछ बुंद जल डाले और हाथ से जमीन को पौछ 

लिजिये.

साफ़ जमीन पर कपूर कि टिकिया रखे और मन ही मन अपनी कामना 


बोलिये.अब तीन बार

"ओम नम: शिवाय"

बोलकर कपूर जलाये और माहाकाली मंत्र का जाप करे,यहा पर मंत्र जाप 


संख्या का गिनती नही करना है और जाप करते समय ध्यान कपूर के 

ज्योत मे होना चाहिये इसलिये मंत्र भी पहिले ही याद करना जरुरी है.

कम से कम 3-4 टिकिया कपूर का इस्तेमाल करे और कपूर इस क्रिया मे 


बुज़ना नही चाहिये जब तक आपका जाप पूर्ण ना हो और इतने समय 

तक जाप करे अन्दाज से के आपका 21 बार मंत्र जाप होना चाहिये.अब 

आपही सोचिये आपको रोज कितना कपूर जलाना है.


साधना तब तक करना है जब तक आपका इच्छा पूर्ण ना हो और इच्छा 

पूर्ण होने के बाद कुछ गरिब बच्चो मे कुछ मिठा बाटे क्युके इच्छा पूर्ण 

होने के खुशी मे..


मंत्र-

ll ओम नमो आदेश माता-पिता-गुरू को l आदेश कालिका माता को,धरती 


माता-आकाश पिता को l ज्योत पर ज्योत चढाऊ ज्योत कालिका माता 

को,मन की इच्छा पुरन कर,सिद्धी कारका l दुहाई माहादेव कि ll


मंत्र सिद्ध है शाबर महाकाली साधना. मंत्र सिद्ध है फिर भी मन मे येसा 

कुछ ना आये के मुज़े अनुभव कैसे मिलेगा ईसलिये किसी भी मंगलवार 

के दिन शाम को 6:30 से 7:30 के समय मे मंत्र का 108 बार जाप कर 

लिजिये और 21 आहुती घी का दे

सोमवार, 18 अप्रैल 2016

शत्रु नाशक बगला प्रयोग



जिस साधक पर भगवती बगलामुखी की कृपा हो जाती है, उसके शत्रु 

कभी अपने षड़यंत्र मे सफल नही हो पाते है.क्युकी भगवती का मुद्गर 

उन शत्रुओ की समस्त क्रियाओ को निस्तेज कर देता है.प्रस्तुत साधना 

उन साधको के लिये है,जो शत्रू के कारण समस्याओ से घिर जाते है.वैसे 

दरिद्रता,रोग,दुख ये भी माँ कि दृष्टि मे आपके शत्रू ही है.अतः सभी को 

यह साधना करनी करनी चाहिये.यह साधना आपको २६ तारीख को 

करना ै.किसी कारणवश ना कर पाये तो किसी भी रविवार को 

करे.समय रात्रि १० के बाद का रखे.आसन वस्त्र पिले हो.आपका मुख 

उत्तर की और होना चाहिये.सामने बाजोट रखकर उस पर पिला वस्त्र 

बिछा दे.और वस्त्र पर पिले सरसो कि एक ढ़ेरी बनाये.इस ढ़ेरी पर एक 

मिट्टि का दिपक सरसो का तेल डालकर प्रज्जवलित करे.ईसके अतिरिक्त 

किसी सामग्री की आवश्यक्ता नही है.दिपक की सामान्य पुजन कर गुड़ 

का भोग अर्पित करे.अब संकल्प ले .


हे माता बगलामुखी हर शत्रू से,रोगो से,दुखो से,दरिद्रता से तथा हर कष्ट 

प्रद स्थिती से रक्षा हेतु मै यह प्रयोग कर रहा हु.आप मेरी साधना को 

स्विकार कर.मुझे सफलता प्रदान करे.

अब निम्न मंत्र कि पिली हकीक माला,हल्दि माला,अथवा रूद्राक्ष माला 


से २१ माला करे.

क्रीं ह्लीं क्रीं सर्व शत्रू मर्दिनी क्रीं ह्लीं क्रीं फट्

Kreem hleem kreem sarv shatru mardini kreem hleem kreem 


phat

यह मंत्र महाकाली समन्वित बगला मंत्र है.जो कि अत्यंत तिव्र है.ईसका 


जाप वाचिक कर पाये तो उत्तम होगा अन्यथा उपांशु करे.पंरतु मानसिक 

ना करे.जाप समाप्त होने के बाद.घृत मे सरसो मिलाकर १०८ आहुति 

प्रदान करे.इस प्रकार साधना पुर्ण होगी.साधना के बाद पुनः स्नान करना 

आवश्यक है.

अगले दिन गुड़,सरसो पिला वस्त्र किसी वृक्ष के निचे रख आये.यह एक 


दिवसीय प्रयोग साधक को शत्रू से मुक्त कर देता है.साधक चाहे तो 

साधना को ३,७, या २१ दिवस के अनुष्ठान रूप मे भी कर सकता है.


गुरुवार, 14 अप्रैल 2016

दारिद्र नाशक प्रयोग

दारिद्र नाशक प्रयोग





अमावस्या या पूर्णमासी पर राई, उडद, कोयला, लालमिर्च (खडी), सिताब 

का पंचांग, लोहे का टुकडा,पीली सरसो, 2 कौडी, गोमती चक्र फूल व एक 

लोटा जल लेकर आवास की चार परिक्रमा कर जल व सभी सामग्री पीपल 

की जड मे छोड आवेँ । धनागमन के मार्ग खुल जावेँगेँ |


ये प्रयोग एक अघोरी द्वारा बताया परिक्षित प्रयोग है।

चमेली तेल मोहन प्रयोग


1. ॐ नमो मोहनी रानी। सिंहासन बैठी मोह रही दरबार। मेरी भक्ती,गुरु 

की शक्ती। दुहाई गौरा पार्वती की। बजरंग बली की आन। नहीँ तो लोना 

चमारी की आन लगे। 

2. ॐ नमो मन मोहनी। मोहनी चला। गैर के मस्तक धरा। तेल का 


दीपक जला। जल मोहूं , थल मोहूं। मोहूं सारा जगत। 

मोहनी रानी जा शैया पै ला। न लाये तो गौरा पार्वती की दुहाई। लोना 

चमारिन की दुहाई। नहीँ तो वीर हनुमान की आन।

प्रयोग विधी:-

1. चमेली के तेल पर अंगुली डुबो कर 7 बार मंत्र पढेँ। फिर तिलक की 

तरह माथे पर लगा लेँ, जहाँ जाऐ सभी मोहित होँगेँ!

2. तेल को मंत्र2 से अभिमंत्रित कर साध्या पर छिडक देँ तो वह वशिभूत 


हो जाएगी।

तंत्र प्रयोग करेँ,तो थोडा सोच लेँ की आप का प्रयोग सहीँ ही हो।

श्री दुर्गा सूक्त

श्री दुर्गा सूक्त

(किसी भी प्रकार की सांसारिक समस्या मे सूक्त का108बार जाप उत्तम 


होता है)

ॐ जातवेदसे सुनवाम सोममरातीवतो निदहाति बेद।

स नः पर्षदति दुर्गाणी विश्व नावेद सिन्धुं दुरितात्यग्नि।

तामग्निवर्णाँ तपसा ज्वलन्तिँ वैरोचनीँ कर्मफलेषु जुष्टाम।

दुर्गा देवी शरणामहं प्रपद्ये सुतरसि रसते नमः।

अग्नेत्वं पारपा नव्यौ अस्मान्ष्तस्तिभिरितिदुर्याणि विश्वा।

पूश्चप्रथ्वी बहुला न इर्वो भवा ताकाय तनताय शंयो।

विश्वानि नो दुर्गहा जातवेदं सिन्धुं न नावादुरितातिपर्षि।

अग्ने अत्रिवन्मनसा शुभानोऽस्माकं बोध्यवितां तनूनाम्।

प्रतनाजितं सहमानमुग्रमग्निं हवेम् परमात्सधस्मात्।

दुःस्वप्न नाशक प्रयोग

ॐ णमो अरहंताणं दीवोत्ताणं,


सरणगइपइट्ठाणं, अप्पडिदयवर, नाणदंसण, धराणं, विअट्टछउम्माणं ऐँ 

स्वाहा।



प्रतिदिन एक माला का जप करेँ तो बुरे स्वप्न कभी नहीँ आतेँ। सम्मान 

बढ़ेगा।कहीँ जाना हो तो मंत्र का 3 बार उच्चारण करके जाएं।तो मार्ग के 

सभी भय समाप्त हो जातेँ है कार्य सफल हो जाता है।


अनुभूत प्रर्योग़ है।

दुश्मनी कराने का इस्लामी अमल



व ज़न्ना अन्नहुल फ़िराकु वल तफ़फ़तिस्साकु बिस्साक़ी इला रब्बिका 

यव मइज़िन निल मसाकु अल्लाहुम्मा फ़र्रिक़ बयनाहुमा कमा फ़र्रक़ता 

बयनस्समाई वल अर्ज़ि व कमा फ़र्रक़ता बयना आदमा व इबलीसा व 

कमा फ़र्रक़ता बयना ईब्राहिमा व नमरुदा व फ़र्रक़ता बयना मूसा व 

फ़िरऔना व कमा फ़र्रक़ता बयना मुहम्मदिन सल्ललाहु अलयहि 

वसल्लमा व अबू जहलिन

शनिवार के दिन दोपहर के समय धूप मेँ बैठकर 11-11 बार 11 दिनोँ 


क उपरोक्त आयत पढेँ।जिन दो जनो के बीच द्वेष कराना हो उनका 

ध्यान करेँ। तो दोनो मे झगडा हो जावेगा।

आयत के शब्दो का उच्चारण सहीँ सही होना चाहिए। परिक्षित प्रयोग है। 

संकट से रक्षा का हनुमान शाबर मन्त्र

मन्त्रः-  “हनुमान हठीला लौंग की काट, बजरंग का टीला ! लावो सुपारी । 

सवा सौ मनका भोगरा, उठाए बड़ा पहलवान । आस कीलूँ – पास कीलूँ, 

कीलूँ अपनी काया ।जागता मसान कीलूँ, बैठूँ जिसकी छाया । जो मुझ 

पर चोट-चपट करें, तू उस पर बरंग सिला चला । ना चलावे, तो 

अञ्जनी मा की चीर फाड़ लंगोट करें, दूध पिया हराम करें । माता सीता 

की दूहाई, भगवान् राम की दुहाई । मेरे गुरु की दुहाई ।”



विधिः-हनुमान् जी के प्रति समर्पण व श्रद्धा का भाव रखते हुए शुभ 

मंगलवार से उक्त मन्त्र का नित्य एक माला जप ९० दिन तक करे । 

पञ्चोपचारों से हनुमान् जी की पूजा करे । इससे मन्त्र में वर्णित कार्यों 

की सिद्धि होगी एवं शत्रुओं का नाश होगा 

सोमवार, 11 अप्रैल 2016

दारिद्र्य नाशक धूमावती साधना

दारिद्र्य नाशक धूमावती साधना
जीवन में कई बार ऐसे पल आ जाते है की हम निराश हो जाते है,अपनी गरीबी से अपनी तकलीफों से,और इस बात को नहीं नाकारा जा सकता की हर इन्सान को धन की आवश्यकता होती है जीवन के ९९ % काम धन के आभाव में अधूरे है यहाँ तक की साधना करने के लिए भी धन लगता है,तो क्यों और कब तक बैठे रहोगे इस गरीबी का रोना लेकर क्यों ना इसे उठा कर फेक दिया जाये जीवन से.
मेरे सभी प्यारे भाइयो और बहनों के लिए एक विशेष साधना दे रहा हु जिससे उनके आर्थिक कष्ट माँ की कृपा से समाप्त हो जायेंगे.ये मेरी अनुभूत साधना है आप संपन्न करे और माँ की कृपा के पात्र बने.
साधना सामग्री. एक सूपड़ा,स्फटिक या तुलसी माला. विधि: यह साधना धूमावती जयंती से आरम्भ करे,समय रात्रि १० बजे का होगा,आप सफ़ेद वस्त्र धारण कर सफ़ेद आसन पर पूर्व मुख कर बैठ जाये.सामने बजोट पर सूपड़ा रख कर उसमे सफ़ेद वस्त्र बिछा दे फिर उसमे धूमावती यन्त्र स्थापित करे,इसके बाद गाय के कंडे से बनी भस्म यन्त्र पर अर्पण करे घी का दीपक जलाये,पेठे का भोग अर्पण करे,माँ से प्रार्थना करे की में यह साधना अपनी दरिद्रता से मुक्ति के लिए कर रहा हु आप मेरी साधना को सफलता प्रदान करे तथा मेरे सभी कष्टों को दूर कर दे.इसके बाद निम्न मंत्र की एक माला करे ॐ धूम्र शिवाय नमः इसके बाद धूं धूं धूमावती ठह ठह की २१ माला करे.फिर पुनः एक माला पहले वाले मंत्र की करे.जप के बाद दिल से माँ से प्रार्थना करे और इस साधना को २१ दिन तक करे.साधना पूरी होने के बाद सुपडे को यन्त्र सहित उठाकर माँ से प्रार्थना करे की माँ आप हमारी सभी पापो को क्षमा करे और आज आप हमारे जीवन के सारे दुःख सारी दरिद्रता को आपके इस पवित्र सुपडे में भर के ले जाये है माँ हमारे जीवन में कभी दरिद्रता ना लोटे ऐसी दया करे.इसके बाद.सुपडे और यन्त्र को जल में प्रवाहित कर दे या किसी निर्जन स्थान में रख दे.निश्चित माँ की आप पर कृपा बरसेगी और जीवन की दरिद्रता कोसो दूर चली जाएगी.साधना के पहले गुरुदेव पूजन तथा गणपति पूजन करे ये हर बार बताना आवश्यक नहीं है.

चंडिका प्रयोग

चंडिका प्रयोग
प्रस्तुत साधना तब करे जब जीवन पूरी तरह अस्त व्यस्त हो गया हो.कोई मार्ग नज़र न आ रहा हो.दरिद्रता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हो.क्युकी ये प्रयोग मारण प्रयोग है,अरे नहीं किसी व्यक्ति का नहीं, अपने कष्टो पर भी तो मारण किया जा सकता है न
दरिद्रता,रोग,गृह क्लेश और भी न जाने क्या क्या कष्ट है जीवन में,जो आपको रात दिन तील तील मारते रहते है,इससे पहले कि ये आपको पूरी तरह मारदे आप कर ही दीजिये इन पर चंडिका प्रयोग।
ये प्रयोग तीन दिन का है,किसी भी रविवार या अमावस्या कि रात्रि १२ बजे इसे किया जा सकता सकता है.दक्षिण कि और मुख कर बैठ जाये,आसन वस्त्र लाल हो तथा जाप होगा रुद्राक्ष कि माला से.सामने महाकाली का कोई भी चित्र स्थापित करे लाल वस्त्र पर.माँ का सामान्य पूजन करे,तील के तेल का दीपक हो.भोग में माँ को गूढ़ अर्पण करे.रक्त पुष्पो से पूजन करे.इसके बाद २१ माला आप मंत्र का जाप करे.भोग नित्य स्वयं खा ले.अंतिम दिन जाप के बाद घी में कालीमिर्च तथा काले तील मिलाकर १०८ आहुति प्रदान करे,तथा अंत में एक निम्बू पर मंत्र को २१ बार पड़कर फुक मार दे.और मंत्र पड़ते हुए ही निम्बू अग्नि कुंड में डाल दे.नित्य पूजन के बाद भी स्नान कर लिया करे.
मंत्र:
क्रीं ह्रीं क्रीं महाकाली चण्डिके आपदउद्दारिणी अनंगमालिनि सर्वोपद्रव नाशिनी क्रीं ह्रीं क्रीं फट।
kreem hreem kreem mahakaali chandike aapaduddhaarini anangmalini sarvopdrav nashini kreem hreem kreem phat
मित्रो इस प्रकार ये प्रयोग पूर्ण होता है,जो आपके जीवन से समस्त शोक दुःख आदि को दूर कर देगा।

रविवार, 10 अप्रैल 2016

श्रीऋद्धि-सिद्धि के लिए श्री गणपति -साधना

वैदिक-साधनाः
यह साधना ‘श्रीगणेश चतुर्थी’ से प्रारम्भ कर ‘चतुर्दशी’ तक (१० दिन) की जाती है। ‘साधना’ हेतु “ऋद्धि-सिद्धि” को गोद में बैठाए हुए भगवान् गणेश की मूर्ति या चित्र आवश्यक है।
विधिः पहले ‘भगवान् गणेश’ की मूर्ति या चित्र की पूजा करें। फिर अपने हाथ में एक नारियल लें और उसकी भी पूजा करें। तब अपनी मनो-कामना या समस्या को स्मरण करते हुए नारियल को भगवान् गणेश के सामने रखें। इसके बाद, निम्न-लिखित स्तोत्र का १०० बार ‘पाठ‘ करें। १० दिनों में स्तोत्र का कुल १००० ‘पाठ‘ होना चाहिए। यथा-
स्वानन्देश गणेशान्, विघ्न-राज विनायक ! ऋद्धि-सिद्धि-पते नाथ, संकटान्मां विमोचय।।१
पूर्ण योग-मय स्वामिन्, संयोगातोग-शान्तिद। ज्येष्ठ-राज गणाधीश, संकटान्मां विमोचय।।२
वैनायकी महा-मायायते ढुंढि गजानन ! लम्बोदर भाल-चन्द्र, संकटान्मां विमोचय।।३
मयूरेश एक-दन्त, भूमि-सवानन्द-दायक। पञ्चमेश वरद-श्रेष्ठ, संकटान्मां विमोचय।।४
संकट-हर विघ्नेश, शमी-मन्दार-सेवित ! दूर्वापराध-शमन, संकटान्मां विमोचय।।५
उक्त स्तोत्र का पाठ करने से पूर्व अच्छा होगा, यदि निम्न-लिखित मन्त्र का १०८ बार ‘जप’ किया जाए। यथा- 
“ॐ श्री वर-वरद-मूर्त्तये वीर-विघ्नेशाय नमः ॐ”
साधना-काल में (१० दिन) साधना करने के बाद दिन भर उक्त मन्त्र का मन-ही-मन स्मरण करते रहें। ११ वें दिन, पहले दिन जो नारियल रखा था, उसे पधारे (फोड़कर) ‘प्रसाद’ स्वरुप अपने परिवार में बाँटे। ‘प्रसाद’ किसी दूसरे को न दें।
इस साधना से सभी प्रकार की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। सभी समस्याएँ, बाधाएँ दूर होती है।

बुधवार, 6 अप्रैल 2016

अनुभुत सिद्ध अष्टलक्ष्मी साधना

अनुभुत सिद्ध अष्टलक्ष्मी साधना

मनुष्य के जीवन की सबसे बड़ी समस्या हैं निर्धनता.धन के अभाव में मनुष्य मान सन्मान प्रतिष्ठा से भी
वंचित रहेता..

साधना को शुरू करने से पहले पञ्च देवता पूजन और गुरु पूजन के साथ साथ सदगुरुदेव प्रदुत्त मंत्र जाप
(गुरुमंत्र) जाप जरूर कर लें ....संकल्प करना ना भूले..
चाहे वह कितना भी बड़ा ज्ञानी क्यों ना हो..कही मैंने सुना था की पैसा खुदा तो नहीं पर खुदा से कम भी
नहीं..आज के युग में यह बात शत प्रतिशत मुझे योग्य लगती हैं...जिनके जीवन में धन का अभाव
हैं...

जिनका व्यापार अच्छे से नहीं चल रहा हैं जो कर्जे के चक्र्व्ह्यु में फस गए हैं...जो लोग धन के अभाव के
कारण बार बार अच्छे मोके गवा देते हैं स्वयं भी दुखी होते हैं और परिवार भी दुखी रहेता हैं ..यह साधना उन
सब को तो समर्पित तो हैं ही साथमे हमारे प्रिय साधक भाई यो को भी समर्पित हैं क्यूंकि धन के अभाव में
साधन उपलब्ध नहीं होता और बिना साधन,साधना नहीं होती...अब आगे मैं क्या कहू पर आप स्वयं यह
साधना करे फिर आपका हृदय स्वयं बोलेगा....

सामग्री

१.सिद्ध श्रीयंत्र , पाट ,पीला वस्त्र , ताम्बे की थाली, गाय के घी के ९(नौ) दीपक, गुलाब अगरबत्ती, लाल/पीले फूलो की माला, पीली बर्फी, शुद्ध,अस्ट्गंध,

२.माला :स्फटिक/कमलगट्टा. जप संख्या :१,२५०००

३.आसन :पीला,---- वस्त्र : पीले ; समय :शुक्रवार रात नौ बजे के बाद

४.दिशा :उत्तराभिमुख

मंत्र:

ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नमः स्वाहा ||

५.विधान :-पाट पर पिला वस्त्र बिछा कर उस पर सिद्ध श्री यन्त्र स्थापित करे,पीले वस्त्र धारण कर पीले

आसन पर बैठे श्री यन्त्र पर अस्ट्गंध का छीट्काव कर खुद अस्ट्गंध का तिलक करे उसके बाद ताम्बे की

थाली में गाय के घी से नौ दीपक जलाये,गुलाब अगरबत्ती लगाये,प्रस्साद में पीली बर्फी रखे श्री यन्त्र पर फूल
माला चढ़ाये उसके बाद मन्त्र जप करे.और माँ की कृपा को प्राप्त करे ...माँ भगवती आप सभी को सुख समृद्धि
से पूर्ण करे..

नील सरस्वती साधना

नील सरस्वती साधना

देवी तारा दस महाविद्याओं में से एक है इन्हे नील सरस्वती भी कहा जाता है ! ये सरस्वती का तांत्रिक स्वरुप है

अब आप एक एक अनार निम्न मंत्र के उच्चारण के साथ गणेश जी व् अक्षोभ पुरुष को काट कर बली दे ..

ॐ गं उच्छिस्ट गणेशाय नमः भो भो देव प्रसिद प्रसिद मया दत्तं इयं बलिं गृहान हूँ फट .

.ॐ भं क्षं फ्रें नमो अक्षोभ्य काल पुरुष सकाय प्रसिद प्रसिद मया दत्तं इयं बलिं गृहान हूँ फट ..

अब आप इस मंत्र की एक माल जाप करे ..

॥क्षं अक्षोभ्य काल पुरुषाय नमः स्वाहा॥

फिर आप निम्न मंत्र की एक माला जाप करे ..

॥ह्रीं गं हस्तिपिशाची लिखे स्वाहा॥

इन मंत्रो की एक एक माला जाप शरू में व् अंत में करना अनिवार्य है क्यों नील तारा देवी के बीज मंत्र की जाप से अत्यंत भयंकर उर्जा का विस्फोट होता है शरीर के अंदर .. ऐसा लगता है जैसे की आप हवा में उड़ रहे हो .. एक हि क्षण में सातो आसमान के ऊपर विचरण की अनुभति तोह दुसरे ही क्षण अथाह समुद्र में गोता लगाने की .. इतना उर्जा का विस्फोट होगा की आप कमजोर पड़ने लग जायेंगे आप के शारीर उस उर्जा का प्रभाव व् तेज को सहन नहीं कर सकते इस के लिए ही यह दोनों मात्र शुरू व् अंत में एक एक माला आप लोग अवस्य करना .. नहीं तोह आप को विक्षिप्त होने से स्वं माँ भी नहीं बचा सकती ..

इस साधना से आप के पांच चक्र जाग्रत हो जाते है तोह आप स्वं ही समझ सकते हो इस मंत्र में कितनी उर्जा निर्माण करने की क्षमता है .. एक एक चक्र को उर्जाओ के तेज धक्के मार मार के जागते है ..अरे परमाणु बम क्या चीज़ है भगवती की इस बीज मंत्र के सामने ?
सब के सब धरे रह जायेंगे ..

मूल मंत्र-

॥स्त्रीं ॥ ॥ STREENG ॥

जप के उपरांत रोज देवी के दाहिने हात में समर्पण व् क्षमा पार्थना करना ना भूले ..

साधना समाप्त करने की उपरांत यथा साध्य हवन करना .. व् एक कुमारी कन्या को भोजन करा देना

..अगर किसी कन्या को भोजन करने में कोई असुविधा हो तोह आप एक वक्त में खाने की जितना मुल्य हो वोह आप किसी जरुरत मंद व्यक्ति को दान कर देना ...
भगवती आप सबका कल्याण करे ..

जब भगवती का बीजमंत्र का एक लाख से ऊपर जप पूर्ण हो जाये तब उनके अन्य मंत्रो का जाप लाभदायी होता है

कुछ लॊग अपने आपको वयक्त नहीं कर पाते, उनमे बोलने की छमता नहीं होती ,उनमे वाक् शक्ति का विकास नहीं होता ऐसे जातको को बुधवार के दिन तारा यन्त्र की स्थापना करनी चाहिए ! उसका पंचोपचार पूजन करने के पश्चात स्फटिक माला से इस मंत्र का २१ माला जप करना चाहिए -

मंत्र - ॐ नमः पद्मासने शब्दरुपे ऐं ह्रीं क्लीं वद वद वाग्वादिनी स्वाहा

२१ वे दिन हवन सामग्री मे जौ-घी मिलाकर उपरोक्त मंत्र का १०८ आहुति दे और पूर्ण आहुति प्रदान करे !

इस साधना से वाक् शक्ति का विकास होता है , आवाज़ का कम्पन जाता रहता है ! यह मोहिनी विद्या है एवं बहुत से प्रवचनकार,कथापुराण वाचक इसी मंत्र को सिद्ध कर जन समूह को अपने शब्द जालो से मोहते है !

अपने पास कुछ भी गोपनीय नहीं रख रहा सब आप लोगो से शेयर कर रहा हु !! प्रतिदिन साधना से पूर्व माँ तारा का पूजन कर एक -एक माला (स्त्रीम ह्रीं हुं ) तारा कुल्लुका एवं ( अं मं अक्षोभ्य श्री ) की अवश्य करे I

छिन्नमस्ता मंत्र

मंत्र :-

ऊं श्रीं ह्लीं ह्लीं वज्र वैरोचनीये ह्लीं ह्लीं फट् स्वाहा 

इस मंत्र का पुरश्चरण चार लाख जप है। जप का दशांश होम पलाश या बिल्व फलों से करना चाहिए। 
तिल व अक्षतों के होम से सर्वजन वशीकरण, स्त्री के रज से होम करने पर आकर्षण, श्वेत कनेर पुष्पों से होम करने से रोग मुक्ति, मालती पुष्पों के होम से वाचासिद्धि व चंपा के पुष्पों से होम करने पर सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। 

दुर्गा कला मन्त्र

जय ज्योत तेरी ओट देवी दुर्गा तेरी कला सहाई,पहली शैलपुत्री ध्याऊँ मनोवांछित फल पाऊँ दूजी ब्र्हम्चारिणी ध्याऊँ ब्रहमविद्या पाऊँ तीजी चंदरघटा ध्याऊँ रोग शोक को दूर भगाऊँ चौथी कुष्मांडा ध्याऊँ भूत प्रेत को दूर भगाऊँ पांचवी अस्कंध माता ध्याऊँ बल बुधि विद्या पाऊँ छट्टी कातायानी ध्याऊँ लम्बी आयु पाऊँ सातवी कालरात्रि ध्याऊँ वैरी से कभी हार न पाऊँ आठवी महागौरी ध्याऊँ सुंदर मोहक रूप मै पाऊँ नौवी सिद्धिधात्री ध्याऊँ परम सिद्ध मै कहलाऊँ मेरा शब्द चुके ऊमा सूखे गंगा यमुना उलटी बहे चले मन्त्र फुरे वाचा देखां नौ देवियों के ईलम का तमाशा ! दुहाई ब्रह्मा विष्णु शिव गौरा पार्वती की

रविवार, 3 अप्रैल 2016

!! श्री महाकाली !!

!! श्री महाकाली !!

दुर्गाजी का एक रुप कालीजी है। यह देवी विशेष रुप से शत्रुसंहार, विघ्ननिवारण, संकटनाश और सुरक्षा की अधीश्वरी है।

यह तथ्य प्रसिद्ध है कि इनकी कृपा मात्र से भक्त को ज्ञान, सम्पति, यश और अन्य सभी भौतिक सुखसमृद्धि के साधन प्राप्त हो सकते है, पर विशेष रुप से इनकी उपासन्न सुरक्षा, शौर्य, पराक्रम, युद्ध, विवाद और प्रभाव विस्तर के संदर्भ में की जाती है। कालीजी की रुपरेखा भयानक है। देखकर सहसा रोमांच हो आता है। पर वह उनका दुष्टदलन रुप है।

भक्तों के प्रति तो वे सदैव ही परम दयालु और ममतामयी रहती है। उनकी पूजा के द्वारा व्यक्ति हर प्रकार की सुरक्षा और समृद्धि प्राप्त कर सकता है।

विधि -

लाल आसन पर कालीजी की प्रतिमा अथवा चित्र या यन्त्र स्थापित करके, लाल चन्दन, पुष्प तथा धूपदीप से पूजा करके मन्त्र जप करना चाहिए। नियमत रुप से श्रद्धापूर्वक आराधना करने वालि जनों को कालीजी(प्रायः सभी शक्ति स्वरुप) स्वप्न मे दर्शन देती है। ऐसे दर्शन से घबङाना नहीं चाहिए और उस स्वप्न की कहीं चर्चा भी नही चाहिए। कालीजी की पुजा में बली का विधान भी है। किन्त सात्विक उपासना की दृष्टि से बलि के नाम पर नारियल अथवा किसी फल का प्रयोग किया जा सकता है।

वैसै, देवी - देवता मात्र श्रद्धा से ही प्रसन्न हो जाते है, ये भौतिक उपादान उनकी दृष्टि में बहुत महत्वपूर्ण नहीं होते । कुछ भी न हो और कोई साधक केवल श्रद्धापूर्वक उनकी स्तुति ही करता रहे, तो भी वह सफल मनोरथ हो सकता है।

धयान स्तुति-

खडगं गदेषु चाप परिघां शूलम भुशुंडी शिरः
शंखं संदधतीं करैस्तिनयनां सर्वाग भूषावृताम्।
नीलाश्मद्युतिमास्य पाद द्शकां सेवै महाकालिकाम्।
यामस्तौत्स्वपितो हरौ कमलजो हन्तुं मधु कैटभम्॥

जप मन्त्र-

ॐ क्रां क्रीं क्रूं कालिकाय नमः।

प्रार्थना-

नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै ससतं नमः।
नमः प्रकृत्यै भद्रायै निततां प्रणतां स्मताम्॥

महाकाली मंत्र :-

ऊं ए क्लीं ह्लीं श्रीं ह्सौ: ऐं ह्सौ: श्रीं ह्लीं क्लीं ऐं जूं क्लीं सं लं श्रीं र: अं आं इं ईं उं ऊं ऋं ऋं लं लृं एं ऐं ओं औं अं अ: ऊं कं खं गं घं डं ऊं चं छं जं झं त्रं ऊं टं ठं डं ढं णं ऊं तं थं दं धं नं ऊं पं फं बं भं मं ऊं यं रं लं वं ऊं शं षं हं क्षं स्वाहा।

विधि :-

यह महाकाली का उग्र मंत्र है। इसकी साधना विंध्याचल के अष्टभुजा पर्वत पर त्रिकोण में स्थित काली खोह में करने से शीघ्र सिद्धि होती है अथवा श्मशान में भी साधना की जा सकती है, लेकिन घर में साधना नहीं करनी चाहिए। जप संख्या 1100 है, जिन्हें 90 दिन तक अवश्य करना चाहिए। दिन में महाकाली की पंचोपचार पूजा करके यथासंभव फलाहार करते हुए निर्मलता, सावधानी, निभीर्कतापूर्वक जप करने से महाकाली सिद्धि प्रदान करती हैं। इसमें होमादि की आवश्यकता नहीं होती।

फल :-

यह मंत्र सार्वभौम है। इससे सभी प्रकार के सुमंगलों, मोहन, मारण, उच्चाटनादि तंत्रोक्त षड्कर्म की सिद्धि
होती है। 

बुधवार, 30 मार्च 2016

पंचांगुली साधना.

पंचांगुली साधना...

पंचांगुली साधना....यह साधना किसी भी समय से प्रारम्भ की जा सकती है, परन्तु साधकको चाहिए कि वह पूर्ण विधि विधान के साथ इस साधना को सम्पन्नकरेँ, मन्त्र जप तीर्थ भूमि, गंगा-यमुना संगम, नदी-तीर, पर्वत,गुफा, या किसी मन्दिर मे की जा सकती है, साधक चाहे तो साधना केलिए घर के एकांत कमरे का उपयोग भी कर सकते हैँ ।इस साधना मेँ यन्त्र आवश्यक है, शुभ दिन शुद्ध , समय मेसाधना स्थान को स्वच्छ पानी से धो ले, कच्चा आंगन हो तो लीप लेँ ,तत्पश्चात लकडी के एक समचौरस पट्टे पर श्वेत वस्त्र धो करबिछा देँ, और उस पर चावलोँ से यन्त्र का निर्माण करेँचावलोँ को अलग-अलग 5 रंगो मे रंग देँ , यन्त्र को सुघडता से सही रुपमेँ बनावे यन्त्र की बनावट मे जरा सी भी गलती सारे परिश्रम को व्यर्थकर देती है ।तत्पश्चात यन्त्र के मध्य ताम्र कलश स्थापित करेँ और उस पर लालवस्त्र आच्छादित कर ऊपर नारियल रखेँ और फिर उस परपंचागुली देवी की मूर्ति स्थापित करे इसके बाद पूर्ण षोडसोपचार से 9दिन तक पूजन करेँ और नित्य पंचागुली मन्त्र का जप तरेँ ।सर्व प्रथम मुख शोधन कर पंचागुली मन्त्र चैतन्य करेँ ,पंचांगुली की साधना मेँ मन्त्र चैतन्य ' ई ' है अतः मन्त्र के प्रारम्भऔर अन्त मे ' ई ' सम्पुट देने से मंत्र चैतन्य हो जाता है ।मन्त्र चैतन्य के बाद योनि-मुद्रा का अनुष्ठान किया जाय यदि योनि-मुद्रा अनुष्ठान का ज्ञान न हो तो भूत लिपि - विधान करना चाहिए ।इसके बाद यन्त्र पूजा कर पंचांगुली ध्यान करेँ ।

पंचांगुली ध्यान-पंचांगुली महादेवीँ श्री सोमन्धर शासने ।अधिष्ठात्री करस्यासौ शक्तिः श्री त्रिदशोशितुः ।।पंचांगुली देवी के सामने यह ध्यान करके पंचांगुली मन्त्र का जपकरना चाहिए -

पंचांगुली मन्त्र -

ॐ नमो पंचागुली पंचांगुली परशरी माता मयंगल वशीकरणी लोहमयदडमणिनी चौसठ काम विहंडनी रणमध्ये राउलमध्ये शत्रुमध्येदीपानमध्ये भूतमध्ये प्रेतमध्ये पिशाचमध्ये झोटिगमध्ये डाकिनिमध्येशाखिनीमध्ये यक्षिणीमध्ये दोषणिमध्ये गुणिमध्ये गारुडीमध्येविनारिमध्ये दोषमध्ये दोषशरणमध्ये दुष्टमध्ये घोर कष्ट मुझ ऊपरबुरो जो कोई करे करावे जडे जडावे चिन्ते चिन्तावे तस माथेश्री माता पंचांगुली देवी ताणो वज्र निर्घार पडे ॐ ठं ठं ठं स्वाहा

।वस्तुतः यह साधना लम्बी और श्रम साध्य है, प्रारम्भ मेगणपति पूजन, संकल्प, न्यास , यन्त्र-पूजा , प्रथम वरण पूजा ,द्वतिया, तृतिया , चतुर्थ, पंचम, षष्ठम् सप्तम, अष्टम औरनवमावरण के बाद भूतीपसंहार करके यन्त्र से प्राण-प्रतिष्ठाकरनी चाहिए ।इसके बाद पंचागुली देवी को संजीवनी बनाने के लिए ध्यान ,अन्तर्मातृका न्यास , कर न्यास, बहिर्मातृका न्यास करनी चाहिए ,यद्यपि इन सारी विधि को लिखा जाय तो लगभग 40-50 पृष्ठो मेआयेगी , यहां मेरा उद्देश्य आप सब को मात्र इस साधना से
परिचितकराना है ।

देश के श्रेष्ठ साधको का मत है कि यदि साधक ये सारे क्रियाकलाप नकरके केवल घर मे मन्त्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठा युक्त पंचांगुली यन्त्रतथा चित्र स्थापित कर उसके सामने नित्य पंचांगुली मंत्र 21 बार जपकरें तो कुछ समय बाद स्वतः पंचांगुली साधना सिद्ध हो जाती है ।सामान्य साधक को लम्बे चौडे जटिल विधि विधान मे न पड कर अपनेघर मे पंचांगुली देवी का चित्र स्थापना चाहिए और प्रातः स्नान कर गुरुमंत्र जप कर पंचांगुली मन्त्र का 21 बार उच्चारण करना चाहिए ।कुछ समय बाद मन्त्र सिद्ध हो जाता है और यह साधना सिद्ध करसाधक सफल भविष्यदृष्टा बन जाता है ,

साधक मेजितनि उज्जवला और पवित्रता होती है उसी के अनुसार उसे फलमिलता है ।वर्तमान समय मे यह श्रैष्ठतम और प्रभावपूर्ण मानी जाती हैतथा प्रत्येक मन्त्र मर्मज्ञ और तांत्रिक साधक इस बात को स्वीकारकरते है कि वर्तमान समय मे यह साधना अचूक फलदायक है ।

इस साधना में कार्तिक माह के हस्त नक्षत्र का ज्यादा महत्व है क्योंकि ये हस्तरेखा और भविष्य दर्शन से जुडी है। ज्यादा उचित ये रहेगा की गुरु के सानिंध्य में साधना करें ।

सोमवार, 28 मार्च 2016

चंड योगिनी साधना

चंड योगिनी साधना

योगिनी शब्द से हम में से अधिकाश भय ग्रस्त से हो जाते हैं , पर ये तो ,अनेको ने इनके बारे में जो भी सुना सुनाया लिख दिया ,, खुद का स्वानुभव कितनो का था , और जिनका स्वानुभव था , वह तो चुप साध के बैठे रहे वह जानते थे की इनके बारे में बोलना ठीक नही हैं क्योंकि एक तो लोग मानेगे नहीं दुसरे क्यों इस सर्वोच्च स्तर की साधना को क्यों सामने लाये ,
तंत्र जगत में चौसठ तंत्रों की बात होती हैं तो क्या चौसठ ही तंत्र हैं , नहीं नहीं यह तो शाक्त मार्ग का वर्गीकरण हैं अन्य सम्प्रदाय में अनेको और तंत्र हैं. डामर और यामल ग्रंथो को मिला कर साथ ही साथ यदि उप तंत्रों को भी मिला लिया जाये तो इतनी बड़ी संख्या बन जाती हैं जिसे देखकर ही हमारे मनीषियों पर गर्व होता हैं,पर इन्हें सुरक्षित रखने का प्रयत्न तो क रना ही चाहिए ही ..
पर इनको अपने जीवन में उतरना कभी ज्यादा लाभ दायक होगा , और स्वयम जान सकेंगे की इनकी वरदायक क्षमता के बारे में ,,
योगिनी इन तंत्रों की आधिस्थार्थी हैं इसका मतलब तो यह हुआ की इनके माध्यम से आप तंत्र जगत के अनबुझे रहस्य ही जान सकते हैं ,, आखिर कब तक आप मात्र वशीकरण ,और मोहन जैसी क्रियाओ में अटके रहेंगे, आखिर कभी न कभी आपको इस में आगे बढ़ना हैं ही तो क्यों नहीं अभी कदम बढ़ाएं.


पर यह चाहे प्रेमिका माता या बहिन जिस भी स्वरुप में सिद्ध की जाये या इनकी अनुकूलता प्राप्त कर ली जाये तो जीवन की कौन सी परिस्थितियां आपके लिए फिर कठिन हो सकती हैं .

प्रेमिका स्वरूप में हमेशा ध्यान रहा जाये, वासनात्मक दृष्टी से इन्हें देखना या व्यवहार करना उचित नहीं हैं , हाँ स्नेह और विशुद्ध प्रेम की बात कुछ और हैं ,
पर यहाँ यह साधना इनके भगिनी या बहिन स्वरुप में की जाने वाली हैं .

आपके जीवन की अनेको परिस्थितियां तो इनके वरदायक प्रभाव से स्वयं ही अनुकूल हो जाती हैं एक ऐसा ही प्रयोग आप सभी के लिए ,आपके समस्त कार्यों को सफलता दिलाने वाला और साथ ही साथ इनके वरदायक प्रभाव को आपके लिए संभव करने वाला आपके लिए ..

मंत्र ::

ॐ चंड योगिनी सर्वार्थ सिद्धिं देहि नमः

साधारण साधनात्मक नियम :

1. जप के लिए काली हकीक माला ले .

2. किसी भी शुक्र वार से यह साधना प्रारंभ की जा सकती हैं

3. दिशा आपकी उत्तर पूर्व रहेगी .

4. साधना के समय पहने जाए वाले वस्त्र और आसन लाल रंग के होंगे

5. रात्रि मे ११ बजे के बाद इस मंत्र का जप प्रारभ करे .

6. ११ माला मन्त्र जप १ हफ्ते ( कुल सात दिन ) किया जाता हैं .

तक करने से सभी प्रकार के कार्यों मे सफलता के लिए चंड योगिनी भगिनी स्वरुप मे अद्रश्य रहते हुए सहायता देती है.

जोड़ो के दर्द का इलाज

दोस्तों आज आप के साथ एक ऐसा फार्मूला शेयर करना चाहता हु जो हर एक परिवार के लिए जरुरी है। ज्यादातर इसके शिकार हमारे घर बुजुर्ग ही होते है और हम कुछ नही कर पाते। जी हा हम जोड़ो के दर्द, घुटनो के दर्द, सर्वाइकल, फ्रोज़न शोल्डर, स्लिप डिस्क, हाथ पैरो का दर्द, गठिया रोग, अर्थरिटिस, हाथ पैरो की अकड़न, कैल्सियम की कमी, संधिवात, आमवात और कमरदर्द ऐसे और भी नाम हम इस बीमारी को देते है। डॉक्टर के पास इसका इलाज भी करते है लेकिन कोई फायदा नहीं। जब तक दवाई लेते है तब फायदा होता है। दवाई बंद करते ही फिर से समस्या शुरू होती है।

निचे दिए गए औषधियां आपको पंसारी (जड़ी बुटी दुकान) में मिल जाएगी और न भी मिले तो निराश मत होना। आप हमारे पास से बानी बनायी दवाई भी आर्डर कर सकते है। हमें आप कभी भी हमारे मोबाइल नंबर 07838157738 पे कॉल कर सकते है। 4-5 महीने के निरंतर उपयोग से सभी दर्द से छुटकारा मिलेगा यह आजमाया हुवा फार्मूला है।

जड़ी बुटी के नाम : पुनर्नवा 30 ग्राम, शुद्ध गुग्गल 20 ग्राम, अश्वगंधा 30 ग्राम, सौंठ 30 ग्राम, सहजन के पत्ते सूखे 100 ग्राम, महायोगराज गुग्गल 30 ग्राम, चंद्रप्रभावती 30 ग्राम, देवदार 30 ग्राम, रास्ना 30 ग्राम, शंखभस्म 20 ग्राम, प्रवाल भस्म 20 ग्राम, गोखरू 30 ग्राम, सहजन के बीज 40 ग्राम इत्यादि।

बनाने की विधि :
सभी जड़ी बूटियों को पंसारी की दुकान से लेकर कूट पीसकर पाउडर बना लीजिये और रोज सुबह शाम भूके पेट गुनगुने पानी के साथ 1-1 चम्मच सेवन कीजिये।

परहेज: तेल में तले पदार्थ, आलू, फास्टफूड, जंकफूड, मैदे से बने पदार्थ न खाए और रोज सुबह बिना चप्पल के रोड पे चले।

नोट : तैयार की हुयी दवाई डाक से भेजने की सुविधा उपलब्ध है।
WATSaap no. 09971485458